तिथि: 06 जून 2025
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे हम निर्जला एकादशी के नाम से जानते हैं, सनातन धर्म में सबसे कठिन और पुण्यदायक व्रत माना जाता है। यह व्रत न केवल जल और अन्न का त्याग है, बल्कि आत्मशुद्धि, भक्ति और सेवा का पर्व भी है।
व्रत का विशेष महत्व
निर्जला एकादशी का व्रत उन सभी लोगों के लिए अत्यंत फलदायी होता है, जो वर्षभर एकादशी व्रत नहीं कर पाते। शास्त्रों में कहा गया है कि इस एक व्रत के प्रभाव से सभी 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाता है।
यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन उनका पूजन, मंत्र-जाप और दान पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
निर्जला का वास्तविक अर्थ
इस व्रत की सबसे कठिन बात है — जल का पूर्ण त्याग।
व्रत के दिन सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक पानी तक नहीं पिया जाता।
केवल आचमन (मंत्र उच्चारण हेतु थोड़ी मात्रा में जल) या कुल्ला करने के लिए जल का उपयोग किया जा सकता है।
व्रत का पालन करते समय जल पीने से व्रत खंडित हो जाता है।
भगवान विष्णु की पूजा-विधि
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से पीले रंग के वस्त्रों में करनी चाहिए।
पूजन के दौरान निम्न नियमों का पालन करें:
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
तुलसी पत्र, पीले फूल, फल और दीपक अर्पित करें।
कथा श्रवण करें और संकल्पपूर्वक दिनभर उपवास करें।
जलदान का पुण्य
इस दिन जलदान का विशेष महत्व होता है।
नौतपा के समय यह व्रत आने के कारण, इस दिन प्यासे को पानी पिलाना या प्याऊ लगवाना अत्यंत पुण्यदायक होता है।
जल का दान करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है।
यह दिन हमें पर्यावरण और जल संरक्षण की भावना भी सिखाता है।
स्वास्थ्य संबंधी सावधानियाँ
निर्जला एकादशी का व्रत अत्यंत कठोर होता है। इसलिए:
गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग या बीमार व्यक्ति इस व्रत को न रखें।
यदि प्यास असहनीय हो, तो जल ग्रहण किया जा सकता है, परंतु व्रत को मानसिक रूप से जारी रखें।
व्रत खोलने का शुभ समय
निर्जला एकादशी व्रत द्वादशी तिथि के सूर्योदय के बाद खोला जाता है।
पहले जल ग्रहण करें।
फिर फलाहार या हल्का भोजन करें।
ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना अति पुण्यदायक होता है।
निष्कर्ष
निर्जला एकादशी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि धैर्य, भक्ति और आत्मनियंत्रण का उत्सव है। यह व्रत हमें सिखाता है कि त्याग और तपस्या के माध्यम से हम अपने जीवन को पुण्यमय बना सकते हैं।
अगर आप इस दिन पूरे नियम और श्रद्धा के साथ व्रत करते हैं, तो निश्चित रूप से भगवान विष्णु की कृपा आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी।
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