हर साल भारत में अनेक पर्व-त्योहार श्रद्धा और आस्था के साथ मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है विवस्वत सप्तमी, जिसे सूर्य सप्तमी या वैवस्वत सप्तमी भी कहा जाता है। यह पर्व विशेष रूप से सूर्य देव के पुत्र वैवस्वत मनु की पूजा-अर्चना के लिए जाना जाता है।
इस बार कब है विवस्वत सप्तमी?
1 जुलाई 2025, मंगलवार के दिन, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को यह पावन पर्व मनाया जाएगा। इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व काफी गहरा है।
विवस्वत सप्तमी का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में सूर्य देव का स्थान अत्यंत ऊँचा है और उनके पुत्र वैवस्वत मनु को मानव जाति का पहला मनु माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को बेहतर स्वास्थ्य, धन-समृद्धि और शत्रुओं पर विजय का आशीर्वाद मिलता है।
इसके अलावा, इस दिन सूर्य के वरुण रूप की पूजा करने की परंपरा भी है, जिससे जीवन में शांति और संतुलन बना रहता है।
एक विशेष पौराणिक मान्यता
आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को ही सूर्य 'विवस्वान्' नाम से विख्यात हुए थे। अतः इस दिन रथचक्र के समान एक गोल आकृति बनाकर उसमें भगवान विवस्वान का गंध, पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए। साथ ही विविध प्रकार के भक्ष्य (खाने योग्य), भोज्य (पकवान) और पेय पदार्थ अर्पित करके व्रत करना चाहिए। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा, तेज और आध्यात्मिक उन्नति लाने वाली मानी जाती है।
पूजा करने का सही तरीका – आसान विधि
अगर आप इस बार विवस्वत सप्तमी पर पूजा करना चाहते हैं, तो नीचे दी गई विधि से पूजा कर सकते हैं:
सवेरे जल्दी उठें, स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
सूर्य देव और वैवस्वत मनु की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाएं।
तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
सूर्य मंत्र जैसे "ॐ घृणि सूर्याय नमः" का जप करें।
अपनी मनोकामनाएं मन में बोलें और पूजा समाप्ति पर आरती करें।
यदि व्रत रख रहे हैं, तो दिनभर फलाहार लें और मन को शांत रखें।
क्यों रखें व्रत इस दिन?
विवस्वत सप्तमी पर व्रत रखने से व्यक्ति को आत्मिक बल और मानसिक स्पष्टता मिलती है। बहुत से श्रद्धालु मानते हैं कि यह व्रत पुराने रोगों को भी दूर करने में सहायक होता है। कुछ लोग तो इसे "आध्यात्मिक डिटॉक्स" की तरह भी मानते हैं – जहाँ एक दिन आहार सीमित करके और पूजा में मन लगाकर, शरीर और मन दोनों को शुद्ध किया जाता है।
अंत में
विवस्वत सप्तमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, स्वास्थ्य और संतुलन का प्रतीक है। यदि आप भी जीवन में ऊर्जा और समृद्धि चाहते हैं, तो इस 1 जुलाई 2025 को सूर्य देव के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित ज़रूर करें।
छोटे-छोटे धार्मिक प्रयास भी कभी-कभी जीवन में बड़ा बदलाव लाते हैं।
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