Wednesday, June 04, 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025: 11 जून को करें इस पावन दिन की पूजा और व्रत

 

भारत में हर पर्व और त्योहार का अपना एक विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक है ज्येष्ठ पूर्णिमा, जो न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ी होती है, बल्कि आत्मिक शांति और पुण्य लाभ का भी माध्यम मानी जाती है। इस साल यह पर्व 11 जून 2025 को मनाया जाएगा। इस लेख में जानेंगे कि इस दिन का क्या महत्व है और इसे कैसे विधिपूर्वक मनाया जाता है।



ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा को भगवान सत्य और चंद्रमा का विशेष दिन माना जाता है। यह दिन व्रत, पूजा और कथा के माध्यम से आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक प्रगति का अवसर प्रदान करता है। यदि यह दिन मंगलवार और ज्येष्ठ नक्षत्र के साथ आता है, तो इसका पुण्य और भी अधिक फलदायी होता है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान और पूजा की विधि

  • इस दिन सरसों मिश्रित जल से स्नान करना शुभ माना जाता है, जिससे पापों का नाश होता है और मन प्रसन्न रहता है।

  • स्नान के बाद बेलपत्र (बिल्व) की गंध और फूलों से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

  • पूजा में केवल एक बार हविष्यान्न (पूजा के बाद भोग के लिए भोजन) करना चाहिए, जैसा कि परंपरा में बताया गया है।

भोजन संबंधी नियम

  • भोजन को कुत्ते, सूअर, गधे जैसे जानवरों से दूर रखना चाहिए। यदि गलती से ये भोजन देख लें, तो उसे त्याग देना चाहिए।

  • इस प्रकार की सावधानी पूरे वर्ष की हर पूर्णिमा पर बनाए रखनी चाहिए।

पूर्णिमा का विशेष पूजन

  •  प्रत्येक शुक्ला पूर्णिमा को वर्ष पर्यन्त कर के व्रत समाप्ति के दिन एक पात्र में बालू, मिट्टी, जौ, गेहूं, चावल और तिल भरना चाहिए।

  • दूसरे पात्र में कपड़ा बिछाकर सोने की शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।

  • विधिपूर्वक पूजन और हवन करें। बेलपत्र की एक हजार आहुतियां दें।

  • इसके बाद चार से सोलह जोड़े (पुरुष-पंडित और स्त्री) को वस्त्र और आभूषण पहनाकर पूजन करवाएं।

  • ऐसा करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है।

निष्कर्ष

ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत और पूजा न केवल धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि यह आत्मिक शांति और जीवन की समृद्धि का भी मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन चंद्रमा और सत्य भगवान का पूजन करके हम अपने मन, शरीर और आत्मा को पवित्र बना सकते हैं। अतः इस पूर्णिमा को विधिपूर्वक मनाना चाहिए ताकि इसके सभी आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकें। #ज्येष्ठपूर्णिमा #ज्येष्ठपूर्णिमाव्रत #वटपूर्णिमा #वटसावित्रीव्रत #चंद्रदेवपूजन #भगवानविष्णुपूजन #मातालक्ष्मीपूजन #हिन्दू_धर्म #पूजा_विधि #भक्ति #धार्मिक #आध्यात्मिकता #सनातनधर्म #SanatanDharma #हिन्दूधर्म #सनातन #पवित्रता #ध्यान #मंत्र #पूजा #व्रत #धार्मिकअनुष्ठान #संस्कार #ऋभुकान्त_गोस्वामी #RibhukantGoswami #Astrologer #Astrology #LalKitab #लाल_किताब #PanditVenimadhavGoswami

For more information: www.benimadhavgoswami.com WhatsApp 9540166678 Phone no. 9312832612


No comments:

Post a Comment

विजयादशमी : विजय, शक्ति और नए आरम्भ का पर्व

  भारतीय संस्कृति में कुछ तिथियाँ ऐसी होती हैं जो पूरे वर्ष विशेष शुभ मानी जाती हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि, जिसे हम विजयादशमी या आ...