भारत की संस्कृति में पर्व और व्रतों का एक गहरा महत्व है। इन्हीं पर्वों में से एक है गुप्त नवरात्रि, जो आम नवरात्रि से कुछ अलग होती है। इस साल गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 26 जून से हो रही है और यह 4 जुलाई तक चलेगी।
गुप्त नवरात्रि क्या होती है?
गुप्त नवरात्रि का मतलब है – एक ऐसा पर्व जहाँ मां दुर्गा की आराधना गोपनीय रूप से की जाती है। इस दौरान विशेष रूप से दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। आमतौर पर यह नवरात्रि साधकों और तांत्रिक परंपराओं से जुड़े लोगों के बीच अधिक प्रसिद्ध होती है, लेकिन अब सामान्य लोग भी इसमें रुचि लेने लगे हैं।
कब मनाई जाती है गुप्त नवरात्रि?
यह नवरात्रि साल में दो बार आती है – एक माघ मास में और दूसरी आषाढ़ मास में। इस बार यह आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाएगी।
आध्यात्मिक ऊर्जा और सिद्धि का समय
गुप्त नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य होता है आध्यात्मिक ऊर्जा का संचय और साधना में सिद्धि प्राप्त करना। कई लोग इस समय को आत्ममंथन और शक्ति उपासना के लिए उपयुक्त मानते हैं।
पूजा विधि और परंपराएं
गुप्त नवरात्रि के दौरान भक्त कलश स्थापना करते हैं, और नौ दिनों तक व्रत रखकर मां दुर्गा की आराधना करते हैं। इस समय विशेष मंत्रों का जाप, हवन, तंत्र साधना और ध्यान जैसी गतिविधियाँ की जाती हैं।
सुबह-शाम दीप प्रज्वलन करें
देवी को लाल फूल, चंदन, और भोग अर्पित करें
विशेषकर रात्रिकाल में मंत्र जाप करें
घर को स्वच्छ और शांत रखें
क्या नहीं करना चाहिए?
इस विशेष समय के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है:
मांस, शराब, लहसुन और प्याज का सेवन बिल्कुल न करें
घर में कलह, अपशब्द या किसी का अपमान न करें
नारी का अपमान भूल से भी न हो – क्योंकि मां दुर्गा स्वयं नारी रूप हैं
महिलाओं के लिए विशेष संदेश
गुप्त नवरात्रि नारीशक्ति की उपासना का प्रतीक है। इस समय महिलाओं को सम्मान देना, उनके साथ विनम्रता से पेश आना बहुत ज़रूरी माना गया है। घर की स्त्रियों का आशीर्वाद भी मां दुर्गा की कृपा दिला सकता है।
व्रत और उपवास
गुप्त नवरात्रि में उपवास का विधान होता है। कुछ लोग फलाहार करते हैं, तो कुछ केवल जल पर रहते हैं। यह आपके स्वास्थ्य और श्रद्धा पर निर्भर करता है। अगर स्वास्थ्य अनुमति न दे, तो मानसिक रूप से उपवास का संकल्प लेना भी फलदायी होता है।
क्यों खास है गुप्त नवरात्रि?
यह पर्व उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जो जीवन में गूढ़ ज्ञान, शक्ति, साधना या मनोबल की तलाश में होते हैं। कई साधक इसे तांत्रिक साधनाओं के लिए श्रेष्ठ मानते हैं।
अंत में
गुप्त नवरात्रि सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि आत्मा को जागृत करने का एक दुर्लभ अवसर है—जहां बाहरी विधियों से ज़्यादा ज़रूरी है अंतरात्मा की सच्ची आस्था और समर्पण।"
मां दुर्गा आप पर अपनी कृपा बनाये रखें।
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