भारतीय संस्कृति में यंत्र, मंत्र और तंत्र की परंपरा बहुत प्राचीन है। इनमें से श्रीयंत्र को यंत्रराज यानी यंत्रों का राजा कहा गया है। इसे माता महालक्ष्मी और त्रिपुरसुंदरी का प्रतीक माना जाता है। विश्वास है कि इसकी स्थापना और नियमित पूजा करने से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
श्रीयंत्र क्यों है खास?
श्रीयंत्र केवल धन आकर्षित करने का साधन नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड और मानव शरीर का भी प्रतीक है।
कहा जाता है कि साधक यदि इसे विधिवत स्थापित कर रोजाना धूप-दीप और पुष्प अर्पित करे, तो थोड़े ही समय में दरिद्रता दूर हो जाती है।
घर के हर कोने में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है और कामनाएँ पूरी होने लगती हैं।
श्रीयंत्र और शरीर के चक्र
मानव शरीर में सात मुख्य चक्र बताए गए हैं और श्रीयंत्र भी इन्हीं चक्रों का प्रतिनिधित्व करता है।
1. मूलाधार चक्र
स्थान – रीढ़ की हड्डी का निचला भाग।
श्रीयंत्र में – अष्टदल कमल।
तत्त्व – पृथ्वी।
देव – ब्रह्मा।
2. स्वाधिष्ठान चक्र
स्थान – पेडू।
श्रीयंत्र में – चतुर्दशार चक्र।
तत्त्व – जल।
देव – विष्णु।
3. मणिपूर चक्र
स्थान – नाभि के पास।
श्रीयंत्र में – त्रिकोण।
तत्त्व – अग्नि।
देव – रुद्र।
4. अनाहत चक्र
स्थान – हृदय।
श्रीयंत्र में – अंतर्दशार चक्र।
तत्त्व – वायु।
देव – ईशान रुद्र।
5. विशुद्ध चक्र
स्थान – कंठ।
श्रीयंत्र में – अष्टकोण।
तत्त्व – आकाश।
देव – शिव।
6. आज्ञा चक्र
स्थान – भ्रूमध्य।
श्रीयंत्र में – बिंदु।
तत्त्व – चेतना।
7. सहस्रार व अन्य चक्र
लंबिका, कुल और अकुल चक्र भी श्रीयंत्र से जुड़े हैं और इसे पूर्णता प्रदान करते हैं।
श्रीयंत्र की अद्भुत रचना
केंद्र में बिंदु, जो शक्ति और शिव का संगम है।
इसके चारों ओर नौ त्रिकोण – पाँच ऊपर की ओर (देवी) और चार नीचे की ओर (शिव)।
इनसे मिलकर कुल 43 त्रिकोण बनते हैं।
बाहर की ओर आठ दल और सोलह दल वाले कमल।
सबसे बाहर भूपुर – जो रक्षक दीवार की तरह है।
नौ चक्र और उनके प्रभाव
श्रीयंत्र में कुल नौ चक्र बताए गए हैं। प्रत्येक का अपना महत्व है:
सर्वानन्दमय – आनंद प्रदान करने वाला।
सर्वसिद्धि प्रद – सिद्धियाँ देने वाला।
सर्वरक्षाकर – सुरक्षा प्रदान करने वाला।
सर्वरोगहर – रोग दूर करने वाला।
सर्वार्थ साधक – सभी कामनाएँ पूर्ण करने वाला।
सर्वसौभाग्यदायक – सौभाग्य देने वाला।
सर्वसंक्षोभण – बंधनों को तोड़ने वाला।
सर्वशापरिपूरक – शापों को शांत करने वाला।
त्रैलोक्यमोहन – तीनों लोकों को मोहित करने वाला।
देवियाँ और उनकी शक्तियाँ
प्रत्येक त्रिकोण और दल में अलग-अलग देवियाँ निवास करती हैं।
ये देवियाँ इच्छाओं, भावनाओं, इंद्रियों और प्राणों की अधिष्ठात्री हैं।
साधक यदि मन से इनकी आराधना करता है, तो उसे धन के साथ आत्मिक शांति भी प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
श्रीयंत्र केवल लक्ष्मी प्राप्ति का उपाय नहीं है, बल्कि यह सम्पूर्ण जीवन को संतुलित करने और आध्यात्मिक उन्नति देने वाला साधन है। इसमें देवी-देवताओं की ऊर्जा का अद्भुत संगम है। यही कारण है कि इसे साधना का सर्वोत्तम मार्ग कहा गया है। #श्रीयंत्र #लक्ष्मीप्राप्तिउपाय #धनवृद्धियंत्र #महालक्ष्मीपूजा #शक्तिसाधना #त्रिपुरसुंदरी #यंत्रराज #हिंदूधर्मज्ञान #ध्यानऔरसाधना #आध्यात्मिकशक्ति #भक्तिभाव #वास्तुतथायंत्र #धनकीदेवी #सकारात्मकऊर्जा #आध्यात्मिकजीवन #सनातन #पवित्रता #ध्यान #मंत्र #पूजा #व्रत #धार्मिकअनुष्ठान #संस्कार #ऋभुकान्त_गोस्वामी #RibhukantGoswami #Astrologer #Astrology #LalKitab #लाल_किताब #PanditVenimadhavGoswami For more information: www.benimadhavgoswami.com Website: www.himachalpublications.com WhatsApp 9540166678 Phone no. 9312832612 Facebook: Ribhukant Goswami Instagram: Ribhukant Goswami Twitter: Ribhukant Goswami Linkedin: Ribhukant Goswami Youtube: AstroGurukulam Youtube: Ribhukant Goswami
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