भारतीय संस्कृति में प्रत्येक तिथि और पर्व का अपना अलग ही महत्व है। इन्हीं में से एक है श्रीचंद नवमी या चंद्र नवमी, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाई जाती है। यह दिन चंद्रमा के पूजन और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
श्रीचंद नवमी कब है?
यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा बढ़ते चरण (शुक्ल पक्ष) में होता है और उसकी उज्ज्वल आभा धरती पर एक अलग ही दिव्यता का अनुभव कराती है। नवमी तिथि पर चंद्रदेव की पूजा करना और मंत्रों का जाप करना शास्त्रों में अत्यंत लाभकारी बताया गया है।
श्रीचंद नवमी 2025: 1 सितम्बर को पर्व
साल 2025 में श्रीचंद नवमी का पावन पर्व 1 सितम्बर (सोमवार) को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तजन सुबह स्नान-ध्यान के बाद व्रत और पूजा आरंभ करते हैं तथा रात में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करते हैं। यह दिन मानसिक शांति और सौभाग्य प्राप्त करने के लिए विशेष माना जा रहा है।
चंद्र नवमी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में चंद्रमा को मन और भावनाओं का स्वामी माना गया है। कहते हैं कि जिनकी जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, उन्हें मानसिक अशांति, चंचलता या अस्थिरता का अनुभव होता है। ऐसे में श्रीचंद नवमी के दिन चंद्रदेव की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और चंद्र मंत्रों का जाप करने से मानसिक शांति, सौम्यता और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
इस दिन क्या किया जाता है?
प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण किए जाते हैं।
चंद्र देव के चित्र या प्रतिमा के सामने दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
सफेद पुष्प, चावल, मिश्री और दूध चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
दिनभर व्रत रखने और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है।
चंद्र देव के मंत्र
इस दिन चंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप किया जाता है –
ॐ श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नमः
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः
माना जाता है कि इन मंत्रों का श्रद्धा से उच्चारण करने पर चंद्रदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
निष्कर्ष
श्रीचंद नवमी केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि आत्मिक संतुलन और मानसिक स्थिरता का भी प्रतीक है। इस दिन किया गया चंद्र पूजा साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नई आशा का संचार करती है।
No comments:
Post a Comment