हर साल सावन महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गोस्वामी तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। यह दिन उन महान कवि और संत गोस्वामी तुलसीदास जी की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने ‘रामचरितमानस’ जैसी कालजयी रचना से भारतीय संस्कृति को एक नई दिशा दी। इस साल तुलसीदास जयंती 31 जुलाई को मनाई जाएगी।
कौन थे गोस्वामी तुलसीदास जी ?
श्री गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कासगंज ज़िले के सोरों नामक गाँव में हुआ था। उनके बारे में कहा जाता है कि वे भगवान राम के अनन्य भक्त थे और उनका पूरा जीवन रामभक्ति में ही समर्पित रहा। उन्होंने अपनी लेखनी से समाज को न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से जागरूक किया, बल्कि भक्ति साहित्य की एक मजबूत नींव भी रखी।
रामचरितमानस: एक अमर काव्य
तुलसीदास जी की सबसे प्रसिद्ध रचना ‘रामचरितमानस’ है, जो श्रीराम के जीवन पर आधारित है। यह काव्य न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि आज भी लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। इसे घर-घर में पढ़ा जाता है और इसकी चौपाइयाँ हर किसी की ज़ुबान पर होती हैं।
कैसे मनाई जाती है तुलसीदास जयंती?
इस दिन खासतौर पर राम दरबार की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों और मंदिरों में भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की पूजा करते हैं। रामचरितमानस का पाठ किया जाता है, भजन-कीर्तन होते हैं और प्रसाद का वितरण भी किया जाता है।
आदर्शों से जुड़ने का दिन
तुलसीदास जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि ये हमें अपने जीवन में भक्ति, सेवा और सच्चाई जैसे मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा भी देती है। कई लोग इस दिन से नई शुरुआत करते हैं — जैसे नियमित पाठ शुरू करना या भक्ति मार्ग पर चलने का संकल्प लेना।
अंत में...
31 जुलाई को मनाई जाने वाली तुलसीदास जयंती हमें अपने साहित्य, संस्कृति और परंपराओं की ओर लौटने का एक सुनहरा अवसर देती है। इस दिन अगर हम थोड़ी देर के लिए भी तुलसीदास जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें, तो यह सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आत्मिक अनुभव बन सकता है।
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