हर साल वैशाख महीने की पूर्णिमा को एक विशेष पर्व मनाया जाता है — श्रीकूर्म जयंती, जो भगवान विष्णु के कछुए अवतार को समर्पित होती है। इस दिन को लेकर भक्तों के बीच गहरी श्रद्धा और विश्वास होता है, क्योंकि यह वही रूप है जिसमें भगवान विष्णु ने सृष्टि की रक्षा की थी।
कूर्म अवतार: सृष्टि की रक्षा का प्रतीक
पुराणों के अनुसार, जब समुद्र मंथन का समय आया, तो पर्वत 'मंदराचल' को मथनी के रूप में प्रयोग किया गया। लेकिन जब वह डगमगाने लगा, तब भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण कर उसे अपनी पीठ पर स्थिर किया। इस रूप को ही कूर्म अवतार कहा जाता है। यह अवतार केवल शक्ति का नहीं, बल्कि त्याग और संरक्षण का प्रतीक भी है।
कब मनाई जाती है कूर्म जयंती?
वैशाख महीने की पूर्णिमा को यह जयंती मनाई जाती है। इस साल, 2025 में यह पर्व 12 मई को मनाया जाएगा इस दिन देशभर में भक्त व्रत रखते हैं और विशेष पूजा अर्चना करते हैं।
श्रीकूर्म स्तोत्र और पूजा विधि
कूर्म जयंती के दिन श्रीकूर्म स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से किया जाता है। इस स्तोत्र में भगवान विष्णु के कूर्म रूप की महिमा का वर्णन मिलता है। घरों और मंदिरों में भगवान के इस रूप की प्रतिमा को स्नान कराकर, वस्त्र पहनाकर, पुष्प और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। कई स्थानों पर रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन का आयोजन भी होता है।
क्यों है ये दिन इतना खास?
इस दिन को केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हमें यह याद दिलाता है कि जब भी संसार पर संकट आता है, भगवान किसी ना किसी रूप में हमारी रक्षा के लिए अवश्य आते हैं। कूर्म अवतार हमें धैर्य और सहनशीलता का भी पाठ सिखाता है।
निष्कर्ष
श्रीकूर्म जयंती सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यह दिन हमें जीवन में धैर्य, त्याग और कर्तव्य के महत्व का बोध कराता है। अगर आपने इस साल यह पर्व मनाया, तो आप भाग्यशाली हैं कि आपने भगवान विष्णु के इस अद्भुत रूप की पूजा करने का सौभाग्य पाया। #श्रीकूर्मजयंती #कूर्मअवतार #भगवानविष्णु #जयश्रीकूर्म #ऋभुकान्त_गोस्वामी #RibhukantGoswami #Astrologer #Astrology #LalKitab #लाल_किताब #PanditVenimadhavGoswami For more information: www.benimadhavgoswami.com WhatsApp 9540166678 Phone no. 9312832612
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