Saturday, May 24, 2025

27 मई को क्यों खास होती है ज्येष्ठ अमावस्या? जानिए भावुका अमावस्या का महत्व

 हिंदू पंचांग में हर अमावस्या का एक खास महत्व होता है, लेकिन भावुका अमावस्या, जिसे ज्येष्ठ अमावस्या या दर्श अमावस्या भी कहा जाता है, कुछ ज्यादा ही खास होती है। यह दिन न सिर्फ पूजा-पाठ का समय होता है बल्कि आत्म-चिंतन और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाने का एक अच्छा मौका भी है।



भावुका अमावस्या कब मनाई जाती है?

यह अमावस्या ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष में आती है। इस साल (2025) यह तिथि 27 मई को पड़ी थी। चूंकि यह तिथि चंद्रमा के पूर्ण अभाव वाली रात होती है, तो इसे अंधकारमयी और पवित्र दोनों माना जाता है।

इस दिन का धार्मिक महत्व

1. पवित्र स्नान और दान का महत्व

ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदियों—जैसे गंगा, यमुना या नर्मदा—में स्नान करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। लोग इस दिन अन्न, वस्त्र, धन और जरूरत की चीजें दान करते हैं। यह विश्वास है कि ऐसा करने से पापों का क्षय होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

"हर दान में एक भावना होती है, और अमावस्या पर किया गया दान आत्मा को हल्का करता है।"

2. पितरों को समर्पित दिन

भावुका अमावस्या को पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है। लोग अपने पितरों की शांति के लिए पूजा करते हैं और ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति आती है।

3. व्रत और मानसिक अनुशासन

कई श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं। यह उपवास न केवल धार्मिक कारणों से किया जाता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना गया है। व्रत के दौरान ध्यान, मंत्र जाप, और आत्मचिंतन किया जाता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।

4. सकारात्मक ऊर्जा का आमंत्रण

अमावस्या को अक्सर नकारात्मकता से जुड़ा दिन माना जाता है, लेकिन यही तो समय होता है जब इंसान खुद को भीतर से मजबूत बना सकता है। इस दिन अगर हम सकारात्मक कार्य करें—जैसे जरूरतमंदों की मदद करना, ध्यान करना, और बुरी आदतों से दूर रहना—तो ये अंधकार भी एक नई रोशनी का रास्ता बन सकता है।

कुछ और बातें जो जाननी चाहिए

  • इस दिन चंद्रमा नहीं दिखाई देता, इसलिए इसे “अंधेरी रात” कहा जाता है।

  • यह दिन तंत्र-साधना और शक्ति उपासना के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।

  • ध्यान और साधना से इस दिन आत्मिक शुद्धि और शांति प्राप्त की जा सकती है।

अंत में एक छोटी सी बात

भावुका अमावस्या सिर्फ एक तारीख नहीं है—यह एक अवसर है खुद से जुड़ने का, अपने पूर्वजों को याद करने का और जीवन में सकारात्मकता लाने का। अगर हम हर साल इस दिन कुछ देर शांत बैठकर अपने अंदर झांक लें, तो शायद हमारी ज़िंदगी थोड़ी और बेहतर बन सकती है।


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