हर साल जब वैशाख का महीना आता है, तो हिंदू धर्म के अनुयायी एक विशेष दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं – नृसिंह जयंती। यह दिन भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नृसिंह भगवान को समर्पित होता है। इस वर्ष नृसिंह जयंती 11 मई 2025 (रविवार ) को मनाई जाएगी। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसके पीछे की कथा भी बेहद प्रेरणादायक है।
भगवान नृसिंह : आधा सिंह, आधा मानव
भगवान नृसिंह का अवतार कुछ अलग ही रूप में हुआ था – आधे मानव और आधे सिंह के स्वरूप में। यह अवतार विशेष रूप से इसलिए लिया गया था ताकि एक अहंकारी राक्षस, हिरण्यकश्यप, का अंत किया जा सके।
वह कोई साधारण राक्षस नहीं था, उसने ऐसा वरदान प्राप्त कर लिया था जिससे उसे न देवता मार सकते थे, न मानव, न ही जानवर या पक्षी। न दिन में मारा जा सकता था और न ही रात में। न धरती पर, न आकाश में। ऐसे में भगवान को एक ऐसा रूप लेना पड़ा जो इन सभी शर्तों से परे हो।
हिरण्यकश्यप की कथा: जब तपस्या ने उसे घमंडी बना दिया
इस कहानी की शुरुआत होती है हिरण्याक्ष से – हिरण्यकश्यप का भाई, जिसे भगवान विष्णु ने वराह अवतार में मार दिया था। भाई की मौत से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने कठिन तप किया और ब्रह्मा जी से वरदान मांगा। उसने अपने वध को असंभव बनाने के लिए कई शर्तें जोड़ दीं।
लेकिन अहंकार जब सिर चढ़कर बोलने लगे, तो विनाश तय हो जाता है।
हिरण्यकश्यप खुद को अमर समझने लगा और उसने भगवान के प्रति श्रद्धा रखने वालों को सताना शुरू कर दिया – जिनमें उसका अपना पुत्र प्रह्लाद भी शामिल था।
प्रह्लाद की भक्ति और नृसिंह अवतार की आवश्यकता
प्रह्लाद बचपन से ही विष्णु भक्त था, और उसके इस विश्वास से हिरण्यकश्यप चिढ़ता था। कई बार उसने प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार कोई न कोई चमत्कार उसे बचा लेता।
आख़िरकार, जब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा – "क्या तेरा भगवान इस खंभे में भी है?" – और खंभे को तोड़ा, तब उसमें से भगवान नृसिंह प्रकट हुए।
वे न दिन में आए, न रात में – संध्याकाल में। न पूरी तरह से इंसान थे, न पशु। न ज़मीन पर बैठे थे, न हवा में – बल्कि हिरण्यकश्यप को अपनी जांघों पर रखकर उसका अंत किया।
कैसे मनाई जाती है नृसिंह जयंती?
इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, व्रत की तैयारी करते हैं और भगवान नृसिंह की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों में हवन, कीर्तन, और प्रवचन होते हैं। घरों में भी पूजा-पाठ और व्रत की विधि को पूरी श्रद्धा से निभाया जाता है।
आस्था की सीख
नृसिंह जयंती केवल एक त्योहार नहीं है, ये हमें याद दिलाती है कि चाहे बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न लगे, सच्ची भक्ति और विश्वास से हर संकट को हराया जा सकता है। भगवान हमेशा अपने भक्तों की रक्षा के लिए आते हैं – कभी नृसिंह बनकर, तो कभी राम या कृष्ण बनकर।
अंत में...
इस नृसिंह जयंती पर आइए, हम सभी भगवान विष्णु के इस अद्भुत रूप का ध्यान करें और प्रह्लाद जैसी श्रद्धा अपने जीवन में अपनाएं। सच्चाई की राह मुश्किल ज़रूर होती है, लेकिन उसका फल हमेशा मीठा होता है।
जय श्री नृसिंह देव!
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