अरण्य षष्ठी, जिसे स्कंद षष्ठी या जमाई षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, एक धार्मिक पर्व है जो विशेष रूप से बच्चों की सेहत, सुरक्षा और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है। यह पर्व शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है और भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की पूजा के रूप में मनाया जाता है।
📅 तिथि:
2025 में अरण्य षष्ठी 1 जून, रविवार को मनाई जाएगी। यह तिथि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को आती है।
🔱 अरण्य षष्ठी का धार्मिक महत्व:
भगवान कार्तिकेय, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं, को इस दिन पूजा जाता है। यह व्रत बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और जीवन की समृद्धि के लिए रखा जाता है।
अरण्यषष्ठी व्रत के विषय में राजमार्तण्ड (सम्वत 1396) ग्रंथ में उल्लेख मिलता है कि इस दिन स्त्रियाँ अपने हाथों में पंखे और तीर लेकर वन में घूमती हैं। गदाधरपद्धति (कालसार, ८३) में इसे स्कन्दषष्ठी भी कहा गया है। यह एक विशेष तिथि-व्रत है, जिसमें विन्ध्यवासिनी देवी और भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) की पूजा की जाती है।
इस व्रत का वर्णन अन्य ग्रंथों जैसे कृत्यरत्नाकर (१८५), वर्षक्रियाकौमुदी (२७९) और कृत्यतत्त्व (४३०-४३१) में भी मिलता है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति विशेष रूप से अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए यह व्रत करते हैं। वे इस अवसर पर कमल की नाल, कन्दमूल (जड़ वाले कंद) और फलों का सेवन करते हैं।
🛕 पूजा विधि (पूजन की प्रक्रिया):
1. प्रातःकाल की तैयारी:
सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर के पूजा स्थान को साफ करके भगवान स्कंद की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
2. पूजन सामग्री और विधि:
भगवान को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर) से स्नान कराएं।
चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं।
फूल, फल, मिठाई और घी का दीपक अर्पित करें।
व्रत कथा का श्रवण करें और भगवान स्कंद की आरती करें।
पेड़ पर धागा लपेटें और बच्चों के आरोग्य की प्रार्थना करें।
🔚 निष्कर्ष: आस्था, परंपरा और बच्चों का भविष्य
अरण्य षष्ठी केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह पारिवारिक मूल्यों, परंपराओं और संतति के कल्याण की भावना का प्रतीक है।
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