Thursday, May 22, 2025

23 मई को भद्रकाली एकादशी: व्रत, पूजा विधि और लाभ

 भारत में जब बात धर्म और आस्था की आती है, तो हर त्योहार का अपना एक खास स्थान होता है। कुछ पर्व आध्यात्मिक शांति के लिए होते हैं, तो कुछ जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले माने जाते हैं। ऐसी ही एक बेहद खास तिथि है — भद्रकाली एकादशी, जिसे अपरा एकादशी और अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।





माँ भद्रकाली एकादशी क्या है?

भद्रकाली एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है। मान्यता है कि इसी दिन माँ भद्रकाली, जो देवी काली का एक उग्र और रक्षक स्वरूप हैं, प्रकट हुई थीं। इस दिन व्रत और विशेष पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

इस दिन का धार्मिक महत्व

माँ भद्रकाली का प्राकट्य

पुराणों में वर्णित है कि माँ भद्रकाली का जन्म अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए हुआ था। उनका यह रूप विशेष रूप से दुष्ट शक्तियों और प्रेत बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

भगवान विष्णु की भी होती है पूजा

इस एकादशी पर सिर्फ माँ भद्रकाली की ही नहीं, बल्कि भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि वामन भगवान के पूजन से मोक्ष का मार्ग खुलता है और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।

शुभ योग का विशेष महत्व

अगर भद्रकाली एकादशी के दिन मंगलवार हो और रेवती नक्षत्र भी पड़ जाए, तो यह दिन और भी ज्यादा फलदायी माना जाता है। इसे दुर्लभ संयोग कहा जाता है, और इस दिन किया गया व्रत कई गुना ज्यादा पुण्य देने वाला होता है।

भद्रकाली एकादशी व्रत के लाभ

  • जीवन की प्रेत बाधाएँ और मानसिक तनाव समाप्त होते हैं

  • धन और अन्न की वृद्धि होती है

  • सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है

  • अंततः मोक्ष की प्राप्ति भी संभव मानी जाती है

कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं, और पूरे दिन पूजा, ध्यान और सत्संग में समय बिताते हैं। यह व्रत न सिर्फ आध्यात्मिक रूप से, बल्कि मानसिक रूप से भी शांति देने वाला होता है।

पूजा विधि: कैसे करें भद्रकाली एकादशी की पूजा?

पूजा विधि बहुत कठिन नहीं होती, लेकिन भक्ति और श्रद्धा ज़रूरी है।

1. दिन की शुरुआत शुद्धता से करें

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे (यदि संभव हो तो नये) वस्त्र धारण करें। घर को भी साफ रखें।

2. माँ भद्रकाली की आराधना

माँ भद्रकाली की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं, और उन्हें लाल वस्त्र, फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। लाल रंग इस दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

3. भगवान विष्णु की पूजा

इसके बाद भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है।

4. रात्रि जागरण

एकादशी की रात को श्री हरि विष्णु का जागरण करें। भजन-कीर्तन करें, धार्मिक पुस्तकों का पाठ करें या फिर किसी सत्संग में शामिल हों।

5. द्वादशी के दिन अन्न दान

अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर अन्न का दान करना ना भूलें। यह इस व्रत का एक जरूरी हिस्सा है और इससे व्रत पूर्ण माना जाता है।

निष्कर्ष: श्रद्धा और साधना का पर्व

भद्रकाली एकादशी केवल एक धार्मिक दिन नहीं, बल्कि मन की शुद्धता और आत्मा की उन्नति का पर्व है। जो भी सच्चे मन से व्रत करता है, माँ भद्रकाली उसकी सभी परेशानियाँ हर लेती हैं। भक्ति और संयम से किया गया यह व्रत जीवन में सकारात्मकता और आत्मबल लाने में मदद करता है।

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