2025 में, विंध्यवासिनी पूजा 1 जून को होगी।
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित विंध्याचल एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जहाँ माँ दुर्गा के एक दिव्य रूप विंध्यवासिनी देवी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय है और 51 शक्तिपीठों में इसकी विशेष गणना होती है। देवी को विंध्य क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी भी कहा जाता है।
विंध्यवासिनी देवी मंदिर, मिर्जापुर शहर से लगभग 6-8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान उत्तरी रेलवे लाइन पर स्थित है, और नजदीकी रेलवे स्टेशन विंध्याचल मात्र छह किलोमीटर दूर है। स्टेशन से लगभग डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर गंगा तट और वहाँ से आधा किलोमीटर की दूरी पर मंदिर स्थित है। मिर्जापुर से मंदिर तक पक्की सड़क भी बनी हुई है।
विंध्यवासिनी देवी का स्वरूप और महत्त्व
विंध्यवासिनी देवी को योगमाया, महामाया, और एकानंशा के नामों से भी जाना जाता है। यह मंदिर एक त्रिकोण यन्त्र पर स्थित है, जो तंत्र साधना की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस ने यशोदा के गर्भ से जन्मे कृष्ण को मारने का प्रयास किया, तब उसी समय माँ दुर्गा का रूप प्रकट हुआ और वे विंध्याचल पर्वत पर निवास करने लगीं।
त्रिकोण यात्रा: तीन प्रमुख शक्तिपीठ
विंध्याचल में तीन प्रमुख देवी मंदिरों के दर्शन को मिलाकर की जाने वाली यात्रा को त्रिकोण यात्रा कहते हैं। ये तीनों मंदिर हैं:
विंध्यवासिनी देवी मंदिर
यह मंदिर ऊँचे स्थान पर बसा हुआ है। माँ दुर्गा की ढाई हाथ ऊँची सिंह पर आरूढ़ मूर्ति यहाँ विराजमान है। मंदिर में महाकाली, बारह भुजा देवी, और धर्मध्वजा देवी की भी मूर्तियाँ हैं।महाकाली देवी (काली खोह)
यह मंदिर वास्तव में चामुण्डा देवी को समर्पित है। यह विंध्याचल से तीन किलोमीटर दूर काली खोह नामक स्था न पर स्थित है। यहाँ देवी की मूर्ति छोटी है लेकिन मुख बड़ा है। पास में भैरव जी का मंदिर भी है।अष्टभुजा देवी मंदिर
यह मंदिर काली खोह से डेढ़ किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर स्थित है। कुछ श्रद्धालु इन्हें महा सरस्वती का स्वरूप मानते हैं। इस स्थान से गंगा का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
नवरात्रि और धार्मिक आयोजन
नवरात्रि के अवसर पर यहाँ विशाल मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। सैंकड़ों ब्राह्मण यहाँ दुर्गा पाठ करते हैं, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में गूंज उठता है। यहाँ चार बड़ी धर्मशालाएं हैं और स्थानीय पंडे श्रद्धालुओं को अपने घरों में ठहराते हैं।
निष्कर्ष
विंध्याचल का यह पावन स्थल न केवल देवी उपासकों के लिए विशेष स्थान रखता है, बल्कि यह शक्ति की उपासना, आस्था और संस्कृति का अद्वितीय संगम भी है। अगर आप कभी आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा की खोज में हों, तो विंध्यवासिनी देवी के चरणों में जरूर आइए।
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