Monday, August 04, 2025

रक्षाबंधन 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और शास्त्रों में वर्णित महत्त्व

 रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम और रक्षा-संवेदन को समर्पित एक अत्यंत पावन पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई उनका जीवनभर साथ निभाने का वचन देते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पर्व की जड़ें सिर्फ भावना में नहीं, बल्कि गहरे शास्त्रीय नियमों और पुराणों में भी छिपी हैं?

इस लेख में हम आपको रक्षाबंधन 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, और इसके पीछे की धार्मिक परंपराएं और कथा के बारे में विस्तार से बताएंगे।

रक्षाबंधन 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त

🗓️ रक्षाबंधन कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे से शुरू हो रही है और 9 अगस्त को दोपहर 1:24 बजे समाप्त होगी।
उदया तिथि यानी सूर्योदय के समय जो तिथि होती है, वही पर्व मनाने के लिए मान्य होती है। इस आधार पर, रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।

⏰ राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष बहनों को राखी बांधने के लिए अच्छा खासा समय मिलेगा।
9 अगस्त को सुबह 5:35 बजे से लेकर दोपहर 1:24 बजे तक रक्षासूत्र बांधने का श्रेष्ठ मुहूर्त है। यानी पूरे 8 घंटे से अधिक समय तक बिना किसी बाधा के राखी बांधी जा सकती है।

 रक्षाबंधन का शास्त्रीय पक्ष और धार्मिक विधि

📖 शास्त्रों में रक्षाबंधन की तिथि कैसे तय होती है?

रक्षाबंधन श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसमें पराह्नव्यापिनी तिथि ली जाती है — यानी वह पूर्णिमा तिथि जो दोपहर में रहती है।
अगर पूर्णिमा दो दिन आती है, या किसी दिन पराह्न में पूर्णिमा नहीं रहती, तो पहले दिन को प्राथमिकता दी जाती है।

भद्राकाल (भद्रा) में राखी बांधना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि भद्रा में श्रावणी और फाल्गुनी पर्वों का आयोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे राजा या प्रजा दोनों को हानि हो सकती है।

रक्षाबंधन की पूजन-विधि (व्रती क्या करें?)

इस दिन प्रातःकाल स्नान करके व्रती को वेदविहित विधि से:

  • रक्षाबंधन (रक्षासूत्र बांधना)

  • पितरों का तर्पण

  • ऋषियों का पूजन

करना चाहिए। 

🧵 रक्षासूत्र कैसे बनाएं?

रक्षा के लिए किसी सुंदर वस्त्र, रेशमी धागे या रंगीन सूत का उपयोग करें। इसमें ये चीजें डालनी चाहिए:

  • सरसों के दाने

  • केसर

  • चंदन

  • अक्षत (चावल)

  • दूर्वा घास

  • अगर संभव हो तो थोड़ा सुवर्ण (सोना) भी

इन सामग्रियों को मिलाकर रक्षा बनाई जाती है और फिर घर के पवित्र स्थान में कलश स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है।

फिर रक्षा को किसी योग्य व्यक्ति — जैसे राजा, मंत्री, ब्राह्मण, वैश्य या शिष्य — के दाहिने हाथ पर नीचे दिए गए मंत्र से बांधा जाता है:

"येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥"

ऐसा करने से कहा गया है कि वह व्यक्ति वर्षभर तक अपने परिवार सहित सुरक्षित और सुखी रहता है।

पौराणिक कथा: इन्द्राणी ने इन्द्र की रक्षा की थी

एक समय की बात है — देवताओं और असुरों के बीच 12 वर्षों तक भीषण युद्ध चला। देवता लगातार हार रहे थे। तब देवगुरु बृहस्पति ने सलाह दी कि युद्ध को कुछ समय के लिए स्थगित कर देना चाहिए।

यह बात इन्द्राणी (देवराज इन्द्र की पत्नी) ने सुनी। उन्होंने संकल्प लिया कि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन वे इन्द्र को रक्षा बांधेंगी, जिससे वे विजयी होंगे।

अगले दिन, इन्द्राणी ने वेदविधि से रक्षा तैयार कर इन्द्र के दाहिने हाथ पर बाँधी। रक्षासूत्र के प्रभाव से इन्द्र और अन्य देवता युद्ध में विजयी हुए।

रक्षाबंधन: केवल एक त्योहार नहीं, एक सांस्कृतिक परंपरा

रक्षाबंधन केवल भाई-बहन का त्योहार नहीं है, यह एक संस्कृति का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि रक्षा केवल राखी तक सीमित नहीं है — यह एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच है, जो शुभ संकल्प, आस्था और परंपरा के धागों से बुना गया है।

 निष्कर्ष

रक्षाबंधन 2025 में जहां आधुनिक कैलेंडर हमें शुभ मुहूर्त और तारीख की जानकारी देता है, वहीं शास्त्र हमें इसकी गहराई और विधि सिखाते हैं। इस बार जब आप राखी बांधें, तो केवल एक रिवाज़ न मानें — उसे श्रद्धा और वेदविहित भावना से निभाएं। तभी यह पर्व अपने वास्तविक रूप में फलीभूत होगा। #HappyRakshaBandhan #RakshaBandhan2025 #BrotherSisterLove #BondOfLove #SiblingGoals #MyBrotherMyProtector #MySisterMyStrength #FestivalOfLove #UnbreakableBond #RakshaBandhanVibes #IndianFestivals #TraditionalCelebration #ForeverSiblings #सनातन #पवित्रता #ध्यान #मंत्र #पूजा #व्रत #धार्मिकअनुष्ठान #संस्कार #ऋभुकान्त_गोस्वामी #RibhukantGoswami #Astrologer #Astrology #LalKitab #लाल_किताब #PanditVenimadhavGoswami For more information: www.benimadhavgoswami.com Website: www.himachalpublications.com WhatsApp 9540166678 Phone no. 9312832612 Facebook: Ribhukant Goswami Instagram: Ribhukant Goswami Twitter: Ribhukant Goswami Linkedin: Ribhukant Goswami Youtube: AstroGurukulam

No comments:

Post a Comment

जीवन का आधार – अष्टलक्ष्मी

  धन ही नहीं, हर सुख का संगम है लक्ष्मी हम अक्सर लक्ष्मी का नाम सुनते ही केवल धन या रुपयों से जोड़ देते हैं। लेकिन शास्त्र बताते हैं कि लक्ष...