Sunday, October 23, 2022

#नरक चतुर्दशी

नरक चतुर्दशी
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी का दिन नरक चतुर्दशी का पर्व माना गया है। इस दिन नरक से मुक्ति पाने के लिए प्रातः काल तेल लगाकर अपा-मार्ग द्धचिचड़ीऋ पौधाा के सहित जल से स्नान करना चाहिए। इस दिन शाम को यमराज के लिए दीपदान करना चाहिए । कहा जाता है इसी दिन भगवान श्री कृष्ण जी ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार किया था।
कथा -  प्राचीन समय में ‘रन्तिदेव’ नामक राजा था वह। वह पहले जन्म में धार्मात्मा दानी था। उसी पूर्वकृत कर्मों से, इस जन्म में भी राजा ने अपार दानादि देकर सत्यकार्य किए। जब उसका अन्त समय आया तब यमराज के दूत  उन्हें लेने आये। बार-बार राजा को लाल-लाल आंखें निकालकर कह रहे थे-राजन्! नरक में चलो, तुम्हें वहीं चलना पड़ेगा।
इस पर राजा घबराया और नरक में चलने का कारण पूछा। यम के दूतों ने कहा-राजन्! आपने जो कुछ दान-पुण्य किया है, उसे तो अखिल विश्व जानता है किन्तु पाप को केवल भगवान और धार्मराज ही जानते हैं।
राजा बोला - उस पाप को मुझे भी बताओ जिससे उसका निवारण कर सकूं।
यमदूत बोले- एक बार तेरे द्वार से भूख से व्याकुल एक ब्राह्मण लौट गया था, इससे तुझे नरक में जाना पड़ेगा।
यह सुन राजा ने यमदूतों से विनती की कि मेरी मृत्यु के बाद सद्यः ही मेरी आयु एक वर्ष बढ़ा दी जाय। इस विषय को दूतों ने बिना सोच-विचार किये ही स्वीकार कर लिया और राजा की आयु एक वर्ष बढ़ा दी गई।
यमदूत चले गये। राजा ने ऋषियों के पास जाकर इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा।
ऋषियों ने बतलाया-हे राजन्! तुम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को व्रत रहकर भगवान कृष्ण का पूजन करना, ब्राह्मण भोजन कराना, तथा दान देकर सब अपराध सुनाकर क्षमा मांगना, तब तुम पापमुक्त हो जाओगे।
 काÆतक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आने पर राजा नियमपूर्वक व्रत रहा और अन्त में विष्णुलोक को प्राप्त किया।

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