Thursday, April 09, 2020

लाल किताब के अनुभव सिद्ध टोटके

  1. लाल किताब के टोटके उत्तर भारत में ही नहीं, अब दक्षिण में भी बहुत प्रसिद्ध हैं। इस लाल किताब के लेखक पं. रूपचन्द्र जोशी जी ने इस पुस्तक में ज्योतिष और हस्त रेखा दोनों का फलादेश दिया है और ग्रह के कष्ट निवारण हेतु कुछ नुस्खों-टोटकों (Remedial measure) का वर्णन किया है उनमें से कुछ जो मेरे इस क्षेत्र में कई वर्षो के शोध कार्य से लाभप्रद सिद्ध हुए हैं, याने वास्तविक प्रकरणों में लाभप्रद सिद्ध हुए हैं, उन्हीं Remedial measure का वर्णय इस लेख में करूंगा जिससे जन साधारण उससे लाभान्वित हो सकें।
लाल किताब के लेखक की मान्यता है, कि जन्म कुन्डली देखते समय हमें फलादेश कहने के लिए व्यक्ति की जन्म लग्न कुछ भी हो उसके लग्न में मेष, द्वितीय भाव में वृषभ, तृतीय भाव में मिथुन, चतुर्थ में कर्क, पंचम में सिंह, छठे में कन्या, सातवें में तुला, आठवें में वृश्चिक, नवे में धनुः दसवें में मकर, ग्वारहवें में कुंभ और बारहवें में मीन राशि आदि मानकर फलादेश बताने से सटीक रहेगा। इसी प्रकार लाल किताब के रचयिता ने प्रथम भाव को सूर्य का भाव माना है, द्वितीय भाव को वृहस्पति का, तीसरा भाव मंगल का , चोथा भाव चंद्र का,पंचावा भाव वृहस्पति का,छटा भाव केतु का, सप्तम भाव शुक्र और बुध दोनों का, अष्टम भाव मंगल और शनि दोनों का, नवम पुनः गुरू का, दशम शनि का, एकादश पुनः गुरू का और द्वादश भाव राहु का मानकर फलादेश कहा गया है।
उपरोक्त दोनों मूल सिद्धान्तों को मानकर लाल किताब में फलादेश कहा गया है। उपरोक्त ज्योतिष के सिद्धातों के अलावा हस्त रेखा के सिद्धान्तों का भी पालन किया गया है। उसके अनुसार सभी बारह राशियों और ‘‘नवग्रहों’’ के स्थान हाथ में दर्शाए गए है वह हाथ का चित्र यहां सर्व साधारण की जानकारी के लिए दिया जा रहा है। उनके हस्त रेखा संबंध सिद्धान्तों का विश्लेषण अन्य लेख में करूंगा जिससे यह लेख विषय वस्तु के अनुरूप रहे।
लाल किताब के रचचिता के अनुसार यदि कोई ग्रह जन्म पत्री में पीड़ित हो तो उसके कष्ट निवारण हेतु उपाय इसमें दर्शाए गए है उदाहरण के तौर पर एक प्रसिद्ध कम्प्यूटर इंजीनियर की पत्रिका का परीक्षण करें। उनकी जन्म दिनांक 13 दिसम्बर, 1956 है। उनकी जन्म लग्न सिंह है और राशी मेष है। चतुर्थ स्थान में इनकी जन्म लग्न का स्वामी सूर्य, राहू और शनि द्वारा पीड़ित है। यहीं सूर्य, राशी से पंचम स्थान का स्वामी होकर अष्टम में पीड़ित है। अतः चंद्र के संबंधित वस्तुऐं दान करना उत्तम रहता है और चंद्र के लिए श्री शंकर भगवान की आराधना करना, शिव चालीसा का पाठ करना लाभ दायक रहेगा। इनके लिए सूर्य योग कारक है, अतः उसका पीड़ित रहना ठीक नहीं है। सूर्य का नग माणिक भी इन्हें लाभ देगा। इससे सूर्य बलवान होगा। 

इसी प्रकार एक प्रसिद्ध उद्योगपति जिनकी जन्म तारीख 30 जुलाई, 1965 है और धनु लग्न, सिंह राशी में जन्म हुआ है। इनका योगकारक गुरू पीड़ित है वह राहू के साथ छठे स्थान में हैं। अतः बुध से संबंधित वस्तुओं का दान करने से लाभ होगा। पीपल के वृक्ष को गमले में लगाकर पालना या पीपल को जल चढ़ाने से लाभ होगा। घर के सभी सदस्यों से पैसे इकट्ठें करके मंदिर में दान करने से लाभ होगा। गुरु इनके लिये योगकारक है, अतः पीला पुखराज भी लाभकारी रहेगा।
ग्रह के पीड़ित रहने पर उक्त ग्रह से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। सूर्य पीड़ित होने के समय एक टोटका यह भी है कि वह व्यक्ति मुंह में मीठी वस्तु खाकर ऊपर से पानी पीए। यह टोटका बहुत सरल है और इसके करने से सूर्य को चंद्र एवं मंगल जैसे मित्रों की सहायता से बल मिलेगा और सूर्य जनित कष्ट कम होंगे।

उपरोक्त विवरण से स्पष्ट होता है कि उपरोक्त महानुभाव को बुध संबंधित वस्तुओं का दान करना या उन्हें पानी में बहा देने से लाभ होगा।
उपरोक्त महाशय के लिए लाल किताब के अनुसार मंगल बहुत योगकारी बन गया है। अतः मंगल की दशा-अंतर दशा बहुत उत्तम फल देगी। लाल किताब की थ्योरी के अनुसार इनका केतु मोक्ष कारक सिद्ध होगा वह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति है। इनका चंद्र भी बुध के साथ प्रसन्न नहीं है। अतः शिव की आराधना लाभकारी रहेगा। इनकी मूल पत्रिका में शनि ने ‘‘शश’’ नामक ‘‘पंचमहापुरुष राजयोग’’ बनाया है और मंगल ने कुलदीपक योग बनाया है, परंतु लाल किताब के अनुसार इनका मंगल अधिक बलशाली साबित हुआ है। अतः यह यदि लाल मूंगे की अंगूठी धारण करें तो बहुत उन्नति कारक सिद्ध होगी।
अब मैं एक भाग्यशाली विद्वान महिला की पत्रिका का विशलेषण लाल किताब के अनुसार करूंगा। उनकी जन्म तारीक्ष 5 मई, 1958 है तथा मेष लग्न, वृश्चिक राशि है। यह उनकी आश्चर्यजनक पत्रिका है क्योंकि इस पत्रिका का फलादेश बताने में हमें, लाल किताब के अनुसार भी यह पत्रिका ऐसी ही रहेगी। इनका योग कारक गुरु सप्तम में पीड़ित है। अतः इन्हें शुक्र से संबंधित दान करना चाहिए- शुक्र का मंत्रजाप करना चाहिए। इससे जीवन में उत्तम फल मिलेगा। श्री महालक्ष्मी जी की पूजा अर्चना बहुत लाभकारी रहेगी।
किसी को सूर्य पीड़ित होने पर हृदय रोग हो सकता है, गवन्र्मेन्ट से हानि, आॅखों में कष्ट, पेट की बीमारियां, हड्डी की प्राबलम हो सकती है। ऐसे प्रकरण में गुड़, गेहूं, ताॅबा, लाल वस्त्र, लाल फूल दान करने से लाभ होता है। सूर्य को श्री विष्णु भगवान का स्वरूप माना है। अतः श्री विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करने से लाभ होगा।
यदि किसी का सूर्य कर्म स्थान (दशम) में पीड़ित हो तो यह टोटका है कि बहते पानी में तांबे का सिक्का बहा देना लाभकारी रहेगा। प्रत्येक भाव में सूर्य अनिष्टकारी होने पर भिन्न-भिन्न टोटके दिए गए है। सभी का वर्णन करना संभव नहीं है। यही सिद्धान्त सभी ग्रहों के लिए है।
इसी प्रकार यदि चंद्र पीड़ित हो तो मां का बीमार रहना, मानसिक चिन्ता रहना, अस्थमा रोग आदि कष्ट हो सकते हैं। उसके लिए चांदी को को बहते पानी में बहा देना। दूसरा टोटका यह भी है कि रात को दूध या पानी का एक बर्तन सिरहाने रखकर सो जावें और अगले सवेरे वह कीकर के वृक्ष पर डाल दें। चंद्रमा के कष्ट को दूर करने के लिए श्री शिव आराधना लाभकारी रहेगा। प्रत्येक भाव में पीड़ित चंद्र के लिए भिन्न-भिन्न टोटके है- जैसे, चंद्र तृतीय भाव में पीड़ित हो तो हरे रंग का कपड़ा कन्याओं को दान में देना आदि और चतुर्थ में चंद्र पीड़ित हो तो रात्रि को दूध नहीं पियें और हो सके तो सोमवार को पंडितो को दूध पिलावें।
यदि मंगल अनिष्टकारी हो तो मीठी रोटी तंदूर की दान करें या रेवड़िया पानी में बहा दें, या मीठा भोजन दान करें। मंगल के लिए श्री बजरंगबली जी की आराधना करें और प्रसाद चढ़ाकर ग्रहण करें आदि।
बुध अनिष्टकारी रहने पर कौड़ियों को जलाकर उनकी राख नदी में उसी दिन बहा दें और तांबे के पैसे में छेद करके पानी में बहा दें या बुध से संबंधित वस्तुएं दान करें। जैसे हरे मूंग, हरा कपड़ा, चांदी। बुध के कष्ट दूर करने के लिए श्री दुर्गा जी की आराधना ‘‘श्री दुर्गा सप्तशती’’ का पाठ करना बहुत लाभप्रद रहेगा। यदि हो सके तो नाक छिदवावें। महिलाएं यह काम सरलता से कर सकती है। यदि बुध के कारण कोई रोग हो तो सीता-फल किसी देवी के मंदिर में दान करें।
गुरु के अनिष्टकारी रहने पर परिवार के सभी सदस्यों से पैसा जमा करके मंदिर में दान करें। पीपल का वृक्ष गमले में लगाकर परिक्रमा करें। गुरु की वस्तुएं जैसे चनादाल, हल्दी साबित, केसर, तांबा (सोने की जगह) पीले फूल, केशरिया कपड़ा गुरुवार के दिन दान करें आदि।
शुक्र के अनिष्टकारी होने पर अपने भोजन में से कुछ भोजन निकाल कर गायों को खिलावें। गौंवों को घास (चरी) खिलावें। शुक्र से संबंधित वस्तुएं दान करें और श्री महालक्ष्मी जी पूजा आराधना करें।
शनि कष्टकारी होने पर मछलियों को आटा खिलाना, कौवों को अपने खाने में से कुछ खिलाना लाभ प्रद रहता है। शनि से संबंधित वस्तुएं दान करें और श्री शिवजी की पूजा आराधना करें।
केतु के अनिष्टकारी रहने पर काले कुत्ते को खाना खिलाना श्री गणेश जी की पूजा आराधना करना लाभप्रद रहता है। यदि आपके लड़के का व्यवहार आपके साथ ठीक नहीं है तो, उपरोक्त विधि से कुत्ते को रोटी खिलाना और मंदिर में कंबल दान करें।
राहू यदि किसी जन्म पत्रिका में अनिष्टकारी हो तो नारियल पानी में बहा दें और जौ को दूध में धोकर पानी में बहाने से, कोयले को पानी में बहाने से लाभ होगा। राहू की वस्तुएं ‘‘स्वीपर’’ को दान में देने से भी लाभ होगा। यदि किसी पर क्रीमिनल प्रकरण चल रहा हो तो वह भी उपरोक्त विधि करें प्रकरण में लाभ होगा।
उपरोक्त उपाय विधि दिन में ही करें रात में नहीं करें।
उपरोक्त लेखक की मान्यता यह भी है कि यदि किसी को शनि पंचम स्थान में हो तो मकान बनाते समय उसके पुत्र को कष्ट होगा। यह सिद्धान्त उसके अपने मकान पर लागू होगा, उसके पुत्र द्वारा बनाए मकान पर लागू नहीं होगा।
यदि किसी पत्रिका में सूर्य-शनि साथ हों और पत्नी का स्वभाव ठीक नहीं हो तो पत्नी के वजन के बराबर ज्वार दान करें इससे लाभ होगा।
लेखक के सिद्धान्त बहुत अच्छे है और उनके द्वारा बताए गए उपाय (टोटके) रेमेडियल मेजर अधिकतर प्रकरणों में बहुत लाभकारी सिद्ध हुए है। यह मैंने अपने कई वर्षो के शोध कार्य से वास्तविक प्रकरणों में अजमा कर देखें है और लाभप्रद सिद्ध हुए है।

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