Sunday, May 31, 2020

|| आज का पंचांग ||31/05/2020

|| आज का पंचांग ||
31/05/2020
शुरू कीजिए अपनी दिनचर्या गुरु ऋभुकान्त गोस्वामी जी द्वारा रचित पंचांग के साथ।
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Friday, May 29, 2020

दिनांक 29 मई 2020

|| आज का पंचांग ||
29/05/2020
शुरू कीजिए अपनी दिनचर्या गुरु ऋभुकान्त गोस्वामी जी द्वारा रचित पंचांग के साथ।
#आज_का_पंचांग #AajKaPanchang #Panchang #ऋभुकान्त_गोस्वामी #RibhukantGoswami #Astrologer #Astrology  #LalKitab  #लाल_किताब #PanditBenimadhavGoswami
दिनांक 29 मई 2020 
दिन शुक्रवार
विक्रम संवत 2077
शक संवत 1942
अयन उत्तरायण 
ऋतु ग्रीष्म
पक्ष  शुक्ल 
 मास ज्येष्ठ
तिथि सप्तमी
नक्षत्र: आश्लेषा 07:27 तक उपरान्त मघा
योग: व्याघात
दिशाशूल पश्चिम
सूर्य उदय 5:28
सूर्य अस्त 19:08
राहु काल प्रातः 10:30 ‌से 12:00 बजे तक 
व्रत और त्योहार भद्रा 21:55 से


Thursday, May 28, 2020

दिनांक 28 मई 2020

|| आज का पंचांग ||
28/05/2020
शुरू कीजिए अपनी दिनचर्या गुरु ऋभुकान्त गोस्वामी जी द्वारा रचित पंचांग के साथ।
#आज_का_पंचांग #AajKaPanchang #Panchang #ऋभुकान्त_गोस्वामी #RibhukantGoswami #Astrologer #Astrology  #LalKitab  #लाल_किताब #PanditBenimadhavGoswamiदिनांक 
28 मई 2020 
दिन गुरुवार
विक्रम संवत 2077
शक संवत 1942
अयन उत्तरायण 
ऋतु ग्रीष्म
पक्ष  शुक्ल 
 मास ज्येष्ठ
तिथि षष्ठी
नक्षत्र: पुष्य 07:27 तक उपरान्त आश्लेषा
योग: ध्रुव
दिशाशूल दक्षिण
सूर्य उदय 5:29
सूर्य अस्त 19:08
राहु काल दोपहर 1:30 ‌से 3:00 बजे तक 
व्रत और त्योहार अरण्य षष्ठी,विन्ध्यवासिनी पूजा


Wednesday, May 27, 2020

|| आज का पंचांग ||27/05/202

|| आज का पंचांग ||
27/05/2020
शुरू कीजिए अपनी दिनचर्या गुरु ऋभुकान्त गोस्वामी जी द्वारा रचित पंचांग के साथ।
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Friday, May 22, 2020

करवीर व्रत : आप की हर इच्छा पूरी करेगा यह व्रत 23 मई 2020, शनिवार, ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा


                                  करवीर व्रत : आप की हर इच्छा पूरी                                         करेगा यह व्रत
                                                            
                                                    23 मई 2020, शनिवार, ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा




ज्येष्ठ शुक्ल प्रतिपदा को देवता के बगीचे में जाकर कनेर के वृक्ष का पूजन करें। उसको मूल और शाखा प्रशाखाओं के सहित स्नान कराकर लाल वस्त्र ओढ़ाकर गंध पुष्प धूप दीप और नैवेद्य आदि से पूजन करें ।उसके समीप सप्तधान्य रखकर उस पर केले, नारंगी ,बिजोरा और गुणक आदि स्थापित करें और
 'करवीर  विषावास नमस्ते भानुवल्लभ ।मौलीमण्डन दुर्गा आदिदेवानां सततं प्रिय।।'

 इस मंत्र से अथवा
 'ऊं आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्र्यंच हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।। 



मंत्र से प्रार्थना करके पूजा सामग्री ब्राह्मण को दे दें। फिर घर जाकर व्रत करें यह व्रत सूर्य की आराधना का है। आपद्ग्रस्त अवस्था में स्त्रियों को तत्काल फल देता है ।प्राचीन काल में सावित्री, सरस्वती ,सत्यभामा और दमयंती आदि ने इसी व्रत से अभीष्ट फल प्राप्त किया था।

Thursday, May 21, 2020

वट सावित्री पूजन

                                                     वट सावित्री पूजन




ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को यह व्रत मनाया जाता है। इस दिन सत्यवान सावित्री तथा यमराज सहित पूजा की जाती है। तत्पश्चात फल का भक्षण करना चाहिए। यह व्रत रहने वाली स्त्रियों का सुहाग अचल होता है। सावित्री ने इसी व्रत के प्रभाव से अपने मृतक पति सत्यवान को धर्मराज से भी जीत लिया था।
सुवर्ण या मिट्टी से सावित्री-सत्यवान तथा भैंसे पर सवार यमराज की प्रतिमा बनाकर धूप, चंदन, दीपक, फल, रोली, केसर से पूजन करना चाहिये तथा सावित्री सत्यवान की कथा सुननी चाहिए।

वट सावित्री व्रत की तिथि: 22 मई 2020
अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को रात 9 बजकर 35 मिनट से 
अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 8 मिनट तक 

कथा - मद्र देश के राजा अश्वपति के पुत्री के रूप में सर्वगुण सम्पन्न सावित्री का जन्म हुआ। राजकन्या ने द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान की कीर्ति सुनकर उन्हें पतिरूप में वरण कर लिया। इधर यह बात जब ऋषिराज नारद को ज्ञात हुई तो वे अश्वपति से जाकर कहने लगे। आपकी कन्या ने वर खोजने में निःसन्देह भारी भूल की है। सत्यवान गुणवान तथा धर्मात्मा भी है, परन्तु वह अल्पआयु है और एक वष्र के बाद ही उसकी मृत्यु हो जायगी।
नारद की यह बात सुनते ही राजा अश्वपति का चेहरा विवर्ण हो गया। ‘वृथा ने होहिं  देव ऋषि बानी’ ऐसा विचार करके उन्होंने अपनी पुत्री को समझाया कि ऐसे अल्पायु व्यक्ति के साथ विवाह करना उचित नहीं। ऐसे अल्पआयु व्यक्ति के साथ विवाह करना उचित नहीं। इसलिए कोई अन्य वर चुन लो? इस पर सावित्री बोली पित जी! आर्य कन्यायें अपना पति एक बार ही वरण करती हैं। राजा एक बार आज्ञा देता है! पंडित एक बार ही प्रतिज्ञा करते हैं! तथा कन्यादान भी एक ही बार किया जाता है। अब चाहे जो हो मैं सत्यवान को ही वर स्वरूप स्वीकार करुंगी। सावित्री ने नारद से सत्यवान मृत्यु का समय मालूम कर लिया था। अन्ततोगत्वा उन दोनों को पाणिग्रहण संस्कार में बाधा गया। वह ससुराल पहुंचते ही सास-ससुर की सेवा में रात-दिन रहने लगी समय बदला, ससुर का बल क्षीण होता देख शत्रुओं ने राज्य छीन लिया। 
नारद का वचन सावित्री को दिन प्रतिदिन अधीर करता रहा। उसने जब जाना कि पति के मृत्यु का दिन नजदीक आ गया है तब तीन दिन पूर्व से ही उपवास शुरू कर दिया। नारद द्वारा कथित निश्चित तिथि पर पितरों का पूजन किया। नित्य की भांति उस दिन भी सत्यवान अपने समय पर लकड़ी काटने के लिए जब चला तो सावित्री भी सास-ससुर की आज्ञा से चलने को तैयार हो गई।
सत्यवान वन में वन में पहुंचकर लकड़ी काटने के लिए वृक्ष पर चढ़ गया। वृक्ष पर  चढ़ते ही सत्यवान के सिर में असहनीय पीड़ा होने लगी। वह व्याकुल हो गया और वृक्ष के ऊपर से नीचे उतर आया। सावित्री अपना भविष्य समझ गई तथा अपने जंघे पर सत्यवान को लिटा लिया। उसी समय दक्षिण दिशा से अत्यन्त प्रभावशाली महिषारुढ यमराज को आते देखा। धर्मराज सत्यवान के जीवन को जब लेकर चल दिये तो सावित्री उनके पीछे चल दी। पहले तो यमराज ने उसे दैवी विधान सुनाया परन्तु उसकी निष्ठा देखकर वर मांगने को कहा।
सावित्री बोली-मेरे सास-ससुर वनवासी तथा अंधे उन्हें आप दिव्य ज्योति प्रदान करें। यमराज ने कहा- ऐसा ही होगा अब लौट जाओ। यमराज की बात सुनकर उसने कहा-भ्गवान् मुझे अपने पतिदेव के पीछे-पीछे चलने में कोई परेशानी नहीं। पति-अनुगमन मेरा कत्र्तव्य है। यह सुनकर उन्होंने फिर वह मांगने को कहा। सावित्री बोली-हमारे ससुर द्युत्मसेन का राज्य छिन गया है उसे वे पुनः प्राप्त कर लें तथा धर्मपरायण हों। यमराज ने यह वर भी देकर लौट जाने को कहा, परन्तु उसने पीछा न छोड़ा। अंत में यमराज को सत्यवान का प्राण छोड़ना पड़ा तथा सौभाग्यवती को सौ पुत्र होने का वरदान भी देना पड़ा।
सावित्री को यह वरदान देरकर धर्मराज अन्तर्धान हो गये। इस प्रकार सावित्री उस बटवृक्ष के नीचे आई जहां पति का मृत शरीर पड़ा था। ईश्वर की अनुकम्पा से उनमें जीवन संचार हुआ तथा सत्यवान उठकर बैठ गये। दोनों हर्ष से पे्रमालिंगन करके राजधानी की ओर गये, तथा माता-पिता को भी दिव्य ज्योति वाला पाया। इस प्रकार सावित्री सत्यवान चिरकाल तक राज्य सुख भागते रहे।
यह व्रत सुहागिन स्त्रियों को करना चाहिए।

|| क्या कहते हैं चीन के सितारे || Kya Kehte Hain China Ke Sitare ||

|| आज का पंचांग ||21/05/2020

|| आज का पंचांग ||
21/05/2020
शुरू कीजिए अपनी दिनचर्या गुरु ऋभुकान्त गोस्वामी जी द्वारा रचित पंचांग के साथ।
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Thursday, May 07, 2020

भगवान बुद्ध प्रकटोत्सव

|| भगवान बुद्ध प्रकटोत्सव  ||
|| बुद्ध पूर्णिमा ||
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
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Wednesday, May 06, 2020

|| भगवान नरसिंह जयंती ||

|| भगवान नरसिंह जयंती ||
आप सभी को भगवान नरसिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
नृसिंह जयंती (6 मई बुधवार) वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन भगवान नृसिंह के रूप में अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए अवतार लिया। इस दिन नृसिंह जी की पूजा आदि करनी चाहिए। अपनी शक्ति के  अनुसार दान भी करना चाहिए यह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता है।
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कल्कि जयंती 2025: भगवान कल्कि के आगमन की प्रतीक्षा का पावन पर्व

  हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से कल्कि जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के दसवें और अ...